आया सावन, बड़ा मन भावन,रिमझिम सी पड़े फुहार, राधा झूल रही कान्हा संग में॥ banner
चले पुरवाई, घटा नभ छाई,बागों में आई बहार॥ राधा झूल रही कान्हा संग में॥

घर आँगन में, वृंदावन में,सखियाँ गाएं मल्हार॥ राधा झूल रही कान्हा संग में॥


ऋतु आई प्यारी, झूलें नर नारी,आया है तीज त्यौहार॥ राधा झूल रही कान्हा संग में॥ बालों में गजरा, अँखियों में कजरा,आजा प्यारी करें श्रृंगार॥ राधा झूल रही कान्हा संग में॥

झूलें ब्रज बाला, झुलायें गोपाल,देखें गोकुल के नर नार॥ राधा झूल रही कान्हा संग में॥

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