सुख भी मुझे प्यारे हैं दुःख भी मुझे प्यारे हैं

सुख भी मुझे प्यारे हैं दुःख भी मुझे प्यारे हैं,
छोडूं मैं किसे भगवन दोनों ही तुम्हारे हैं,
दुःख चाहे ना कोई भी सब सुख को तरस ते है,
सुख में सब हंसते हैं दुःख में सब रोते हैं,
सुख मिले जिसे उसने दुःख भी तो सहारे हैं,
छोड़ूं मैं किसे भगवन दोनों ही तुम्हारे हैं,
मैं कैसे कहूं मुझको ये देदे या वो देदे,
जो भी तेरी मर्जी है मर्जी से जो देदे,
मैंने तो तेरे आगे ये हाथ पसारे हैं,
छोड़ूं मैं किसे भगवन दोनों ही तुम्हारे हैं,
सुख में तेरा शुक्र करूं दुःख में फरयाद करूं,
जिस हाल में तुम रखो मैं तुम को याद करूं,
यादों में वियोगी ने ये गीत संवारे हैं,
छोड़ूं मैं किसे भगवन दोनों ही तुम्हारे हैं,
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