मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ ब्रह्मा तुम भी पधारो, विष्णु तुम भी पधारो।२। भोले शंकर को साथ ले आओ, आओ जी गजानन आओ।२। मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ।२। लक्ष्मी तुम भी पधारो, गौरा तुम भी पधारो। सरस्वती को साथ ले आओ आओ जी गजानन आओ।२। मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ।२। राम तुम भी पधारो, लक्ष्मण तुम भी पधारो। सीता मैया को साथ ले आओ। मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ।२। श्याम तुम भी पधारो, राम तुम भी पधारो। राधा रानी को साथ ले आओ, मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ।२। हनुमत तुम भी पधारो, नारद तुम भी पधारो। मैया रानी को साथ ले आओ, मेरे कीर्तन में रंग बरसाओ, आओ जी गजानन आओ।२।
संदेश
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
कहाँ जा छुपे हो,प्यारे कन्हैया, यहाँ लाज मेरी,लूटी जा रही है, जुए में पति मेरे,हारे है बाजी, सभा बिच साड़ी,खींची जा रही है, कहाँ जा छुपे हो,प्यारे कन्हैया, यहाँ लाज मेरी, लूटी जा रही है...... शौहरत थी जिनकी,सारे जहाँ में, झुकाता था सर जिनको,सारा जमाना, देखो समय आज,बदला है कैसा, की वीरों की गर्दन,झुकी जा रही है, कहाँ जा छुपे हों,प्यारे कन्हैया, यहाँ लाज मेरी, लूटी जा रही है....... पितामह गुरु द्रोण,कृपाचार्य आदि, दया धर्म हे नाथ,सबने भुला दी, बने है अधर्मी,सभी इस सभा में, किसी को ना मुझपे,दया आ रही है, कहाँ जा छुपे हों,प्यारे कन्हैया, यहाँ लाज मेरी, लूटी जा रही है....... सुनी टेर श्यामा,जब द्रोपती की, उन्हें याद आई,अपने वचन की, ना की देर पल की,सभा में पधारे, हया शर्म जहाँ,लूटी जा रही थी, कहाँ जा छुपे हों,प्यारे कन्हैया, यहाँ लाज मेरी, लूटी जा रही है........ खींच ना सका चीर,दुशाशन भी हारा, समझी थी मोहन मैं,इशारा तुम्हारा, ये साड़ी के हर तार,में तुम छिपे हो, इसलिए ये साडी,बड़ी जा रही है, कहाँ जा छुपे हों,प्यारे कन्हैया, यहाँ लाज मेरी, लूटी जा रही ह...
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
सुबह शाम आठों याम यही नाम लिए जा खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा लिखा था राम नाम वो, पत्थर भी तर गए किए राम से जो बैर, जीते जी वो मर गए बस नाम का रसपान, ए इंसान किए जा खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा राम नाम की धुन पे नाचे हो कर के मतवाला बज्रअंगी सा इस दुनिया में कोई ना देखा भाला जो भी हनुमत में दर पे आता, उसका संकट ताला मुख में राम, तन में राम, जापे राम राम की माला जहाँ राम का कीर्तन वही हनुमान जति हो गोदी मे गणपति को लें शिव पार्वती हो सियाराम की कृपा से सौ साल जिए जा खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा जिसपे दया श्री राम की, बाका न बाल हो उसका सहाय ‘भक्तों’ अंजनी का लाल हो हनुमान की हर हाल में जयकार किए जा खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
राम को देख कर के जनक नंदिनी, बाग में यूं खड़ी की खड़ी रह गयी । राम देखे सिया को सिया राम को, चारो अँखियां लड़ी की लड़ी रह गयीं ॥ थे जनक पुर गये देखने के लिए, सारी सखियाँ झरोखों से झाँकन लगे । देखते ही नजर मिल गयी प्रेम की, जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी ॥ राम को देख कर के जनक नंदिनी...॥ बोली एक सखी राम को देखकर, रच गयी है विधाता ने जोड़ी सुघर । फिर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर, मन में शंका बनी की बनी रह गयी ॥ राम को देख कर के जनक नंदिनी...॥ बोली दूसरी सखी छोटन देखन में है, पर चमत्कार इनका तू नहीं जानती । एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी, उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी ॥ राम को देख कर के जनक नंदिनी...॥
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
सुबह सुबह ले शिव का नाम, कर ले बन्दे यह शुभ काम । सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम ॥ ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय... खुद को राख लपेटे फिरते, औरों को देते धन धाम । देवो के हित विष पी डाला, नीलकंठ को कोटि प्रणाम ॥ ॥ सुबह सुबह ले शिव...॥ शिव के चरणों में मिलते है, सारी तीरथ चारो धाम । करनी का सुख तेरे हाथों, शिव के हाथों में परिणाम ॥ ॥ सुबह सुबह ले शिव...॥ शिव के रहते कैसी चिंता, साथ रहे प्रभु आठों याम । शिव को भजले सुख पायेगा, मन को आएगा आराम ॥ ॥ सुबह सुबह ले शिव...॥ सुबह सुबह ले शिव का नाम, कर ले बन्दे यह शुभ काम । सुबह सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम ॥
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
नाम दिल से ना भूलो मईया का, ये भुलाने के काबिल नही, बडी मुश्किल से नर तन मिला हैं, यह गवाने के काबिल नहीं हैं, नाम दिल से ना भूलो मईया का.... चोला अनमोल तुझको मिला हैं, जिसमें जीवन का फूल खिला हैं, जिसमें जीवन का फूल खिला हैं, श्वास गिन गिन के तुझको मिला हैं, यह गवाने के काबिल नहीं हैं, नाम दिल से ना भूलो मईया का.... ऐसे अनमोल जीवन को पा कर, खोज अपनी ना की मन लगा कर, वो तो मईया के पास जाकर, मुंह दिखाने के काबिल नहीं हैं, नाम दिल से ना भूलो मईया का.... बात मानो तो बिल्कुल सही हैं, सबके हृदय में मईया बसी है, आत्म का बोध जिसको नहीं हैं, मुक्ति पाने के काबिल नहीं हैं, नाम दिल से ना भूलो मईया का.....
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
मेरी बेहना केसों पे कलमलहारी,मस्तक पे मदन मुरारी, लिख दे लिखाऊँ जो बात में तन पे नाम लिखो चित लाके, अपने तू अति हर्षाके, लिखदे लिखाऊं जो जो बात में ॥ भृकुटी पे भयनासक लिखदे भक्तन के रखवारे , पलकों पे पीताम्बरधारी जग के पालनहारे, नैनों पे लिख दे नटवर नंदन है नैनों के तारे, बहना कोरन पे कृष्ण मुरारी गलों पे गिरवरधारी, निर्विकार नासिका पे लिखदे नटवर नन्द दुलारे, अधरों पे लिख एक अगोचर मोहन बंसी वारे , चतुर्भुजी लिख चिवक में मेरे चमके चंदा तारे, बहना कानों पे करुणा धारे ग्रीवा पे गौ रखवारे, भुजन पे भूधर भूर भूर लिख बहियन पे बनवारी, प्रीतम प्यारा लिख पहुँची पे पुलकित हो मन भारी, नन्द नंदन लिख नखों पे मेरे छाती पे छलियारी, बहना नाभी पे लिख नटनागर कटि पे लिख करुणा सागर, जाघों पे लिख जीवनदाता पार लगावे नैया घुटुवन पे घनश्याम घनेरे गोपी रास रचैया, प्रेम पुजारी लिख पिड्रीन पे बलदाऊ को भैया, बहना पंजे पे लिखदे दायरी मोहन की राधा प्यारी,